बच्चो में बुखार (Bukhar) होगा तो क्या करे

जब बच्चों में बुखार (Bukhar in hindi) होता है तो घर में सभी लोग परेशान हो जाते हैं क्योंकि बच्चा बुखार के कारण रोता रहता है। ऐसे मामलों में, बिना किसी डर के बच्चे को आश्वस्त करना महत्वपूर्ण है। चलिए जानते हैं की अगर आपके बच्चे को बुखार आता हैं तो क्या खबरदारी रखनी चाहिए।

बच्चों में बुखार क्या है? (Baccho mein bukhar kya hain ?)

यदि बच्चे को बुखार है, तो आपको अपने हाथों से उसके सिर पर या हाथों से उसकी छाती पर इसे नहीं मापना चाहिए। डिजिटल थर्मामीटर से तापमान को मापना महत्वपूर्ण है।

बच्चे के शरीर का तापमान आमतौर पर 98.6 डिग्री फ़ारेनहाइट होता है। जब एक डिजिटल थर्मामीटर को बगल में रखा जाता है और उसका तापमान 100 डिग्री फ़ारेनहाइट से ऊपर होता है, तो उसे बुखार होता है। बुखार को अंग्रेजी में फीवर (bukhar in english) कहा जाता हैं।

पारा थर्मामीटर के बजाय डिजिटल थर्मामीटर का उपयोग करना सबसे अच्छा है क्योंकि पारा थर्मामीटर कांच से बना होता है और इसमें पारा होता है, जो अत्यधिक विषारी होता है।

बच्चों में बुखार होने पर क्या करें?

जब बच्चे को बुखार हो और थर्मामीटर पर 100 डिग्री फ़ारेनहाइट के ऊपर हो , तो बच्चे को अपने पास की बुखार की दवा दे  । पेरासिटामोल 15 मिलीग्राम प्रति किलो (bukhar ki dawa) हिसाब से दे या अपने बच्चे को अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक दें।

यदि बच्चे का बुखार दवा लेने के आधे घंटे के भीतर कम नहीं होता है या बढ़ता है, तो बच्चे के शरीर और अंगों को गुनगुने पानी से पोंछना चाहिए या नहलाना चाहिए, ताकि बच्चे का बुखार तुरंत उतर जाए।

बच्चों में बुखार के कारण क्या हैं?

शिशु को बुखार होने के कई कारण हो सकते हैं

बुखार का सबसे आम कारण यह है कि अगर शरीर संक्रमित है। ये कीटाणु वायरस या बैक्टीरिया हो सकते हैं।

जब ये रोगाणु शरीर में प्रवेश करते हैं, तो शरीर का तापमान उनके विकास के लिए उपयुक्त होता है। ऐसे में हमारे शरीर में थर्मोस्टैट यानी मस्तिष्क में हाइपोथैलेमस, उन कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए शरीर के तापमान को बढ़ाता है। अलग-अलग कीटाणुओं में अलग-अलग बुखार का समय भी हो सकता है।

  •    टाइफाइड में लगातार तेज बुखार रहता है।
  •    टीबी के कारण शाम को बुखार होता है।
  •    डेंगू बुखार के साथ शरीर में दर्द का कारण बनता है।

हालांकि शरीर के तापमान में वृद्धि कीटाणुओं को मार देती है, कुछ रोगाणु ऐसे समय में नहीं मारे जा सकते हैं तब संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता हो सकती है।

बुखार के कारण इस प्रकार के होते हैं

  •     अगर बच्चे को वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण हो रहा है
  •     सर्दी जुकाम हो
  •     क्षय रोग, निमोनिया, फ्लू हो
  •     मूत्रमार्ग का संक्रमण हो
  •     टीकाकरण के एक से दो दिन के लिए बुखार हो सकता है।

बच्चों में निमोनिया और बच्चों में फ्लू पढ़ें

बच्चों में बुखार के लक्षण क्या हैं?

  •     शरीर बहुत गर्म हो गया होगा।
  •     हो सकता है कि बच्चा चिड़चिड़ेपन से रो रहा हो।
  •     हो सकता है कि बच्चा मुंह से कुछ भी नहीं खा रहा हो।
  •     बच्चा सुस्त रहेगा।
  •     बच्चे को सर्दी हो सकती है।

उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर माता-पिता को बच्चे के बुखार को मापने की आवश्यकता होती है। यदि आपका बच्चा तीन महीने से कम उम्र का है और उसे बुखार है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना महत्वपूर्ण है।

बुखार कम करने के लिए क्या करें?

  • सबसे पहले घर में बुखार की दवा हो तो उसे देनी चाहिए। बुखार के लिए पेरासिटामोल सिरप (bukhar ki dawai) बच्चे के वजन के अनुसार (15 मिलीग्राम प्रति किलो) दिया जाना चाहिए। दवा के दुष्प्रभाव न्यूनतम हैं इसलिए उन्हें हर छह घंटे में दिया जा सकता है।
  • बच्चे के कपड़े ढीले होने चाहिए।
  • अगर दवा (bukhar ki dawa) देने के बाद भी बुखार दूर नहीं होता है तो गुनगुने पानी से स्पंज करें।
  • बच्चे को घर से बाहर ले जाओ।
  • कमरे में ताजी हवा आने देना चाहिए।

बुखार कम करने के लिए क्या न करें?

  •     बच्चे को गीले कपड़ों में नहीं लपेटना चाहिए।
  •     बच्चे को स्वेटर या चद्दर से नहीं ढकना चाहिए।
  •     बच्चे को बर्फ के पानी से नहीं नहलाना चाहिए।
  •     बच्चे के पास ज्यादा लोगों की भीड़ न लगाएं।

बुखार होने पर डॉक्टर से कब संपर्क करें?

  •     दो-तीन दिन तक लगातार बुखार रहेगा
  •     पेशाब कम हो रहा होगा
  •     बच्चा ठीक से नहीं खा रहा होगा
  •     बुखार के साथ शरीर पर लाल रंग के चट्टे होंगे तो
  •     अगर बच्चे को सांस लेने में ज्यादा तकलीफ हो रही है तो
  •     सिरदर्द रहेगा, बदन दर्द रहेगा तो
  •     बच्चे को अत्यधिक कमजोरी हो रही होगी तो
  •     अगर बुखार में झटका आ रहा होगा तो

बुखार (bukhar in hindi) होने पर बिना घबराए बच्चे के खाने-पीने की निगरानी करना महत्वपूर्ण है, लेकिन उपरोक्त में से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

बुखार में क्या खाना चाहिए?

  •     सबसे पहले अगर आपको बुखार है तो खूब पानी पिएं।
  •     तैलीय खाद्य पदार्थों के अलावा अन्य स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
  •     फल या फलों का जूस दे सकते हैं।
  •     बच्चा दाल चावल, दही चावल खा सकता है।

बच्चों में बुखार की जटिलताएं क्या हैं?

बुखार कोई बीमारी नहीं बल्कि एक लक्षण है लेकिन बुखार की कुछ जटिलताएं हैं।

  •     बुखार में झटका आना

छह महीने से पांच साल की उम्र के छोटे बच्चों में बुखार में झटका आ सकता है। बुखार बढ़ने या गिरने पर झटका आ सकता है । दो से पांच प्रतिशत बच्चे बुखार के झटके से पीड़ित हो सकते हैं।

  •     डिहाइड्रेशन

अपने बच्चे को बुखार होने पर जितना हो सके उतना पानी देना ज़रूरी है लेकिन अगर आपका बच्चा बहुत सुस्त हो जाए तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है क्योंकि ऐसे मैं बच्चे के शरीर से पानी काम हो सकता हैं ।

  •     अनावश्यक बड़बड़ करना(मतिभ्रम)

अक्सर जब शरीर का तापमान 103 डिग्री फ़ारेनहाइट से ऊपर चला जाता है, तो उन चीज़ों के बारे में बात करना जो आपके सामने नहीं हैं जैसे कि बड़बड़ाना मतिभ्रम का संकेत है।

उपरोक्त जानकारी को पढ़ने के बाद, आपको पता चल जाएगा कि आपके बच्चे को बुखार होने पर क्या करना चाहिए। जो माता पिता होशियार होते हैं वो अपने बच्चे का बुखार की ठिकसे देखभाल करते हैं ।

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डॉ निखिल राणे सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट हैं। वह बच्चों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल करना पसंद करते हैं।

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