बच्चों में डेंगू होने पर बरतें सावधानी | Dengue Fever in Hindi

डेंगू बुखार (Dengue Fever in Hindi)एक वायरल बीमारी है जो एडीज मच्छरों द्वारा फैलती है। डेंगू का पहला मामला वेस्ट इंडीज में 1635 में सामने आया था। भारत में पहला मरीज 1956 में तमिलनाडु राज्य के वेल्लोर गांव में मिला था। छोटे बच्चों में डेंगू बहुत आम हो गया है। तो आइए जानते हैं डेंगू के बारे में पूरी जानकारी।

छोटे बच्चों में डेंगू का क्या कारण होता है? (Causes of Dengue fever in Hindi?)

डेंगू ये बिमारी डेंगू वायरस के कारण होता है। जो कि फ्लेविवायरस परिवार का एक वायरस है। डेंगू वायरस एक एकल मानक आरएनए वायरस है जो तीन संरचनात्मक प्रोटीन और ग्लाइको प्रोटीन, सात गैर-संरचनात्मक प्रोटीन से बना है। डेंगू के वायरस चार प्रकार के होते हैं। मनुष्य इस विषाणु का रिझर्व्हायर है।

डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर से फैलता है, लेकिन कई बार यह एडीज एल्बोप्रैक्टस नामक मच्छर से भी फैलता है। एडीज मच्छर बारिश के साफ पानी में, नारीयल की खोपड़ी में रहते हैं।

जब एडीज मच्छर डेंगू के मरीज को काटता है, तो यह डेंगू के वायरस को भी मरीज के खूनमें से ले जाता है। इस मामले में, वायरस की इंक्युबेशन पिरिअड दस दिनों की होती है।यदि मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को दस दिनों के बाद काटता है, तो उसे डेंगू हो जाता है। डेंगू बरसात के चार से छह सप्ताह में देखने को मिलता है।

छोटे बच्चों में डेंगू के लक्षण क्या हैं?(Dengue symptoms in hindi)

डेंगू के संक्रमण के सात से आठ दिनों के भीतर छोटे बच्चों में डेंगू के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

  • अत्यधिक सिरदर्द, शरीर में दर्द होना।
  • भूख में कमी आना ।
  • जोड़ों का दर्द होना।
  • बुखार होने पर दो-तीन दिन में शरीर पर लाल दाने निकल आते हैं।
  • उल्टी और मचलाहट होना ।
  • पेट में दर्द होना।
डेंग्यू हेमोरेजिक फीव्हर - इसमे उपर के लक्षणोके सिवाय नाक से खून बहना, मसूड़ों से खून आना और झटके आना ये लक्षण शामिल रहते हैं।
डेंग्यू शॉक सिन्ड्रोम – इसमे डेंग्यू हेमोरेजिक फीव्हर जैसे और रक्तचाप काम होना ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं ऐसे में मरीज की जान को काफी खतरा होता है।

डेंगू का परीक्षण तब किया जाता है जब किसी बच्चे को तेज बुखार हो और कारण समझ में न आए और उसे सर्दी-जुकाम हो। शिशुओं की भूख कम हो जाती है और उनके मुंह में कोई स्वाद नहीं होता है। इसलिए वे कुछ नहीं खाते। लगातार घटने वाले प्लेटलेट्स भी बच्चे में चक्कर आने का कारण बनते हैं।

कमजोरी – डेंगू बच्चे के रक्तचाप को कम करता है, जिससे वह बहुत कमजोर हो जाता है। कई बार बच्चों में चलने की भी ताकत नहीं होती हैं।

शरीर पर लाल दाने निकलना – शरीर पर हर जगह लाल दाने निकल के आते हैं  और साथ ही खुजली भी बढ़ जाती है, ऐसे वक्त बच्चे को डेंगू बुखार हो सकता है।

सर्दी, खांसी – कभी-कभी बच्चे को सर्दी, खांसी होती है और फिर डेंग्यू के लक्षण दिखाई देते हैं।

डेंगू कितने प्रकार के होते हैं? (What are types of Dengue fever in Hindi ?)

उपर के लक्षणों से डेंगू तीन प्रकार का होता है।

1) डेंग्यू फीवर

 2) डेंग्यू हेमोरेजिक फीवर

 3) डेंग्यू शॉक सिन्ड्रोम

बच्चों में डेंगू बुखार का निदान कैसे होता हैं ?(How Dengue Fever is diagnosed in Hindi ?)

डेंगू बुखार का निदान डॉक्टर परीक्षण और लक्षणों से करते हैं । डेंगू बुखार की पुष्टि के लिए रक्त परीक्षण और डेंगू एंटीजन परीक्षण किए जाते हैं।

  • रक्त परीक्षण – रक्त परीक्षण सफेद रक्त कोशिकाओं में कमी दिखाते हैं। प्लेटलेट्स भी कम होते हैं, हेमटोक्रिट ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि खून में पानी की मात्रा कम हो जाती है।
  • डेंगू एंटीजन टेस्ट NS1, IGM, IGG टाइप का होता है।

NS1 पॉजिटिव हाल ही का संक्रमण है।

आईजीएम पॉजिटिव यानी 3/4 दिन पहले का संक्रमण।

आईजीजी पॉजिटिव एक संक्रमण है जो सात से आठ दिन पहले होता है।

  • एक्स-रे – एक्स-रे छाती में निमोनिया के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
  • सोनोग्राफीसोनोग्राफी में मरीज के पेट और छाती में पानी जमा हुवा दिखाई देता हैं । जिगर और पित्ताशय पर सुजन दिखाई देती हैं।  

रोगी का रक्तचाप भी उसकी उम्र के आधार पर कम मापा जाता है।

छोटे बच्चों में डेंगू के खतरे के संकेत क्या हैं? (What are Danger signs of Dengue Fever in Hindi ?)

  • खून की उल्टी होना ।
  • सांस लेने में दिक्क्त होना ।
  • पेटदर्द होना ।
  • बहुत कमजोर महसूस करना।

यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से परामर्श करना जरुरी रेहता हैं ।

बच्चों में डेंगू का इलाज क्या है? (What is treatment of Dengue Fever in Hindi ?)

डेंगू (Dengue fever in hindi) का कोई इलाज नहीं है क्योंकि यह एक वायरल बीमारी है लेकिन निम्नलिखित उपाय करना महत्वपूर्ण है ।

  • खूब पानी पिए ।
  • बुखार हो तो पैरासिटामोल सिरप का प्रयोग करें। इबुप्रोफेन या एस्पिरिन का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • हर तरह के फल खाएं।
  • तैलीय भोजन न करें।
  • अगर आपको शरीर पर लाल दाने निकल रहे हो तो आप प्रभावित जगह पर कैलामाइन लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

यदि उपरोक्त सभी उपचार लक्षणों को कम नहीं करते हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। ऐसे में डॉक्टर मरीज को भर्ती होने की सलाह दे सकते हैं। भर्ती के बाद सलाईन लगाया जाता है डेंगू में डिहाइड्रेशन के कारण रोगी को ज्यादा सलाईन की आवश्यकता पड सकती हैं  कभी-कभी किसी अन्य संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं।

जब कोई मरीज भर्ती होता है तो उसके ब्लड प्रेशर पर नजर रखनी होती है। यदि रोगी के कान से नाक से खून बह रहा हो और साथ ही उसका मल काला हो, तो उसे रक्त चढ़ाने (प्लेटलेट्स) की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में मरीज को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत होती है।

जब रोगी की भूख बढ़ने लगती है और रक्त में प्लेटलेट्स सामान्य श्रेणी में लौट आते हैं तो रोगी को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।

छोटे बच्चों में डेंगू की रोकथाम कैसे करें ? (How to get protected from Dengue fever in Hindi?)

डेंगू के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है, इसलिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि आपको डेंगू न हो।

  • मच्छर रिपेलंट का उपयोग करना।
  • आसपास का परिसर साफ सुथरा रखना।
  • मच्छरदानी का उपयोग करना।
  • खिड़कियों को जाली लगाना चाहिए ।
  • बारिश के पानी को घर के आसपास जमा नहीं होने देना चाहिए।
  • पुराने टायर फूलदान से पानी फेंकना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

डेंगू कितनी बार हो सकता है?

डेंगू चार डेंगू वायरस के कारण हो सकता है, इसलिए डेंगू जीवन में चार बार हो सकता है।

डेंगू से ठीक होने में कितने दिन लगते हैं?

डेंगू के लक्षण पांच से सात दिनों तक रहते हैं, इसलिए डेंगू से उबरने में हफ्ता लग सकता हैं।

डेंगू से किसे सावधान रहना चाहिए?

जिन लोगों को पहले डेंगू हो चुका है, जो छोटे या बड़े हैं, या जिनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है, उन्हें डेंगू होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए उन्हें सावधान रहना चाहिए कि कहीं डेंगू न हो जाए।

डेंगू से कौन से अंग प्रभावित होते हैं?

डेंगू मुख्य रूप से लीवर को प्रभावित करता है लेकिन हृदय और फेफड़ों ये अवयव को भी प्रभावित करता है।

क्या डेंगू मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है?

अगर मरीज का ब्लड प्रेशर, प्लेटलेट्स कम है तो मरीज को भर्ती करना पड़ता है।

क्या पैरासिटामोल सिरप डेंगू बुखार को कम करता है?

कभी-कभी कम करता है लेकिन तेज बुखार हो तो पानी से स्पंज करना पड़ता है।

डेंगू के लक्षण कैसे दिखते हैं?

डेंगू से गोवर जैसे लाल धब्बे और अंग पर खुजली होने लगती है ।

क्या एक साल से कम उम्र के बच्चे को डेंगू हो जाता है?

हां, डेंग्यू हेमोरेजिक फीवर हो सकता है।

डेंगू से ठीक होने के क्या संकेत हैं?

बुखार कम होना और भूख का बढ़ना ठीक होने के संकेत हैं।

डेंगू में कौन सा फल खाना बेहतर है?

पपीता, पपीते के पत्ते का रस प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए फायदेमंद होता है।

डेंगू पीड़ित मां अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती है क्या?

मां के दूध से डेंगू का फैलाव बहुत कम होता है लेकिन मां का दूध पिलाना चाहिए क्योंकि मां के दूध के फायदे ज्यादा होते हैं।

क्या बिना इलाज के डेंगू का मरीज ठीक हो सकता है?

यदि रोगी घर पर उचित देखभाल करे, खूब पानी पिए, आराम करे, तो वह ठीक हो सकता है, लेकिन अगर खतरे के कोई लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

क्या मुझे डेंगू में नहाना चाहिए?

नहाने से शरीर साफ रहता है और शरीर का तापमान भी नियमित रहता है। इसलिए डेंगू में नहाएं।

डेंगू में कितने प्लेटलेट्स खतरनाक हैं?

सामान्यत: प्लेटलेट्स की संख्या 1 लाख 50 हजार से 4 लाख 50 हजार तक होती है लेकिन यदि वह संख्या एक लाख से नीचे चली जाती है तो यह खतरे का संकेत है इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है।

उपरोक्त सभी जानकारियों को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि छोटे बच्चों में डेंगू बुखार हो जाए तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बीमारी गंभीर न हो जाए और समय रहते इलाज हो जाए तो अस्पताल में भर्ती होने का खर्च बच सकता है।

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डॉ निखिल राणे सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट हैं। वह बच्चों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल करना पसंद करते हैं।

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