पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व (Posterior Urethral Valve in Hindi) एक गंभीर जन्मजात बीमारी है। इस बीमारी को जानने के लिए यह जानना जरूरी है कि छोटे बच्चे का मूत्रमार्ग कैसा होता है।
मूत्रमार्ग किडनी, मूत्रवाहिनी (युरेटर), मूत्राशय (ब्लैडर), मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) से बना होता है।
- किडनी – किडनी एक बी की आकार का अंग है। किडनी शरीर में रक्त को फिल्टर करती हैं और मूत्र से अतिरिक्त पानी और अनावश्यक उत्पादों को बाहर निकालते हैं। आमतौर पर हमारे शरीर में दो किडनी होती है। किडनी पेट के पीछे कमर में स्थित होते हैं।
- मूत्रवाहिनी (युरेटर) – किडनी से मूत्र ले जाने के लिए मूत्रवाहिनी नामक एक नली होती है। इस ट्यूब की लंबाई 25 सेमी होती है। यह ट्यूब नीचे के ब्लैडर से जुड़ी होती है।
- ब्लैडर– ब्लैडर एक बैग जैसा होता है जो पेशाब को इकट्ठा करता है। उसकी जगह पेल्विक में होती है।
- मूत्रमार्ग– मूत्रमार्ग भी एक प्रकार की नली होती है जो मूत्राशय में जमा हुए मूत्र को शरीर से बाहर ले जाती है।
आइए नवजात शिशुओं में पोस्टीरियर यूरेथ्रल वाल्व (Posterior urethral valve in Hindi) के बारे में अधिक जानें।
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व क्या है?
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व (posterior urethral valve ki bimari) मूत्रमार्ग के पीछे की एक मांसल झिल्ली है। यह झिल्ली पहले कुछ महीनों में बनती है जबकि बच्चा अभी भी मां के गर्भ में है। पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व केवल लड़को में देखा जाता है।
जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व पेशाब में बाधा डालता है। इससे यूरिनरी ट्रैक्ट में सूजन आ जाती है। इसलिए, यह किडनी, मूत्रवाहिनी और मूत्राशय पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
एक और समस्या यह है कि गर्भावस्था के पांचवें महीने से मां के गर्भ से पानी बच्चे के मूत्र से बनता है। .पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व बच्चे को पेशाब करने से रोकता है, जिसके परिणामस्वरूप डिहाइड्रेशन होता है। जिससे बच्चे के फेफड़ों के विकास को भी खतरा होता है। इसलिए, बच्चे के जन्म से पहले मां की सोनोग्राफी में अक्सर यह बीमारी देखी जाती है।
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व के बनने का क्या कारण है?
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व बनने का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व जुड़वां बच्चों, पिता और पुत्र में देखा जाता है। तो कभी-कभी इसका कारण आनुवंशिकता भी हो सकता है। 5,000 में से लगभग एक बच्चा इस बीमारी के साथ पैदा होता है।
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व के लक्षण क्या हैं?
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व (Posterior Urethral Valve in Hindi) बच्चे के किडनी पर सूजन का कारण बनता है जब बच्चा माँ के गर्भ मैं होता हैं तब बच्चे के किडनी पर सूजन आने लगती हैं। इसे एंटीनेटल हाइड्रोनफ्रोसिस कहते हैं।
जन्म के बाद निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं:
- बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होना। पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व के कारण बच्चे का पेशाब ब्लैडर में भर जाता है। मूत्र रुकने के कारन बच्चे के मूत्राशय में संक्रमण होता हैं और उस वजह से बच्चे को तेज बुखार आने लगता है।
- पेशाब करने में कठिनाई और पेशाब बूंद बूंद टपकना।
- जैसे ही पेशाब मूत्राशय में रहता है, यह मूत्रवाहिनी के माध्यम से फिर से किडनी तक पहुँचता है और किडनी पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस स्थिति को वासिकोरेटेरिक रिफ्लक्स कहा जाता है।
- जैसे ही मूत्र मूत्राशय में भरता है, बच्चे का रक्तचाप भी बढ़ सकता है।
- चूंकि इसका किडनी पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, इसलिए इसका बच्चे की वृद्धि और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व के कारन माँ के गर्भ में पानी काम हो जाता है, जिससे बच्चे के फेफड़ों को गंभीर नुकसान होता है। और अगर फेफड़े नहीं बढ़ते हैं, तो बच्चे की जान को खतरा होता है।
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व का निदान कैसे किया जाता है?
जब बच्चे के जन्म से पहले मां की सोनोग्राफी की जाती है तो मां के गर्भ में पानी की मात्रा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जो ज्यादातर बच्चे के पेशाब के कारण होता है। पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व सोनोग्राफी नहीं दिखाती देता है।
लेकिन कुछ चीजें पोस्टीरियर यूरेथ्रल वाल्व के निदान का कारण बन सकती हैं।
- बच्चे के किडनी, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय सूज गए हैं। इससे आपको पता चलता है कि यूरिनरी ट्रैक्ट में कोई बाधा है।
- बच्चे के मूत्र पथ में रुकावट या किडनी का काम काम होने के कारण माँ के गर्भ में बहुत कम पानी होता है। ऐसे मामलों में, बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व (Posterior Urethral valve in hindi) का सही निदान जन्म के बाद होता है। कुछ बच्चो में निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं।
- पेट की सोनोग्राफी – बच्चे की सोनोग्राफी में किडनी में सूजन दिखाई देती है।
- एमसीयूजी – बच्चे के मूत्रमार्ग का एक्स-रे लिया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि बच्चे के शरीर से बच्चे का मूत्र कैसे निकल रहा है।
- डीएमएसए स्कैन – किडनी के कार्य की जांच के लिए किया जाता है। इसमें बच्चे के खून में डाई छोड़ा जाता है। और मूत्र मार्ग की इमेजेज ली जाती हैं।
- रक्त परीक्षण – एक बच्चे के रक्त परीक्षण से पता चलता है कि किडनी कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं।
- यूरिन टेस्ट – यूरिन टेस्ट यह देखने के लिए किया जाता है की यूरिन में कोई इन्फेक्शन तो नहीं है।
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व का इलाज क्या है?
प्राथमिक उपचार बच्चे की स्थिति के आधार पर किया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण उपचार बच्चे के मूत्र मार्ग में रुकावट को दूर करना होता है। लेकिन उससे पहले यह भी जरूरी है की बच्चे की हालत स्थिर हो।
बच्चे के लक्षणों को दूर करने के लिए पहला कदम बच्चे के मूत्र मार्ग में एक ट्यूब डालना है ताकि बच्चे का पूरा पेशाब बाहर निकाला जा सके।
यदि बच्चे का शरीर में से पानी और शार कम है, तो इसे सलाइन द्वारा सामान्य किया जाता है, और यदि बच्चे को मूत्र मार्ग का संक्रमण है, तो एंटीबायोटिक्स भी इंजेक्ट किए जाते हैं।
इंडोस्कोपिक एब्लेशन (Endoscopic ablation) – बच्चे की स्थिति स्थिर होने पर बच्चे के मूत्र मार्ग की झिल्ली जला दी जाती है, जिससे बच्चे का मूत्र मार्ग साफ हो जाता है और मूत्राशय में पेशाब की मात्रा कम हो जाती है।
हालांकि बच्चे की झिल्ली जलाने के बाद बच्चे के लक्षण कम हो जाते हैं, ऐसे शिशुओं को बार-बार जांच के लिए मूत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाना बहुत जरूरी है।
पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व की जटिलताएं क्या हैं?
लगभग 30% पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व (Posterior Urethral Valve in hindi) वाले शिशुओं में किडनी फ़ैल हो सकती है। यदि ऑपरेशन कम उम्र में किया जाता है, तो इस जटिलता की घटना बहुत कम होती है।
कुछ शिशुओं के किडनी पर सूजन होती हैं और कुछ शिशुओं में मूत्राशय से मूत्र मूत्रमार्ग में प्रवेश कर जाता है। सर्जरी कराने वाले 50% शिशुओं में घटना कम हो जाती है। और शेष 50% शिशुओं को यह बीमारी हो सकती है। इसके लिए एक अलग ऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती है। इसे यूरेटेरिक रीइम्प्लांटेशन कहते हैं।
क्या लड़कियों में पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व होता है?
नहीं। लड़कियों में पोस्टीरियर यूरेथ्रल वॉल्व (Posterior Urethral Valve in Hindi) नहीं होता है।
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