कान में इन्फेक्शन (Otitis media in hindi) बच्चों में अधिक आम है। लगभग 75% बच्चों को तीन साल की उम्र तक एक बार कान का संक्रमण हो जाता है।
तो आइए जानते हैं क्या है कान में इन्फेक्शन? इसका क्या कारण होता है? इसकी जटिलताएं क्या हैं? और इलाज क्या है?
ओटाइटिस मीडिया क्या है? (What is otitis media in hindi?)
ओटाइटिस मीडिया कान का परदा (ईयरड्रम) के पीछे के क्षेत्र का संक्रमण है। जिसमें संक्रमण के कारण पर्दे के पीछे पानी जमा हो जाता है और वह पानी ईयरड्रम पर दबाव डालता है। इससे कान में दर्द होता है। ओटाइटिस मीडिया सर्दी, खांसी या अचानक पर्यावरण परिवर्तन के कारण हो सकता है।
ओटाइटिस मीडिया के प्रकार क्या हैं? (What are types of otitis media in hindi?)
ओटाइटिस मीडिया तीन प्रकार का होता है।
- एक्यूट ओटाइटिस मीडिया (Acute otitis media in hindi)
जब कान में इन्फेक्शन कम समय में हो जाता है। इसे एक्यूट ओटिटिस मीडिया कहा जाता है। इसमें ईयरड्रम पर सूजन होती है और परदा लाल पड़ता है। कान के पर्दे के पीछे पानी जमा होने के कारण बच्चे को बुखार हो जाता है। कान में दर्द होता हैं । यह बहरेपन का कारण भी बन सकता है।
- ओटाइटिस मीडिया विथ इफूजन (Otitis media with effusion in hindi)
जैसे-जैसे कान का संक्रमण कम होता है, ईयरड्रम के पीछे पानी जमा हो जाता है। तो कान भरे हुए लगते हैं। यह बहरेपन का कारण भी बन सकता है। इसे ग्लू इयर भी कहा जाता है।
- क्रोनिक ओटाइटिस मीडिया (Chronic otitis media)
कान का संक्रमण पूरी तरह से ठीक हो जाता है। साथ ही, ईयरड्रम के पीछे का पानी बार-बार कम ज्यादा होते रहता हैं। इससे बच्चे को बहरापन भी हो सकता है।
ओटाइटिस मीडिया का क्या कारण है? (What are causes of otitis media in hindi?)
कान का मध्य भाग आमतौर पर एक यूस्टेशियन ट्यूब द्वारा नाक से जुड़ा होता है। यूस्टेशियन ट्यूब का उपयोग कान में दबाव को नियंत्रित करने और कान से संचित पानी को नाक में छोड़ने के लिए किया जाता है।
बच्चे को सर्दी-जुकाम होने पर नाक सूज जाती है। यूस्टेशियन ट्यूब भी सूज जाती है। तो कान में से पानी नाक में नहीं जाता है और वायरस या बैक्टीरिया के कारण संक्रमण होता है।
छोटे बच्चों में कान का संक्रमण बड़े पुरुषों की तुलना में अधिक आम है क्योंकि छोटे बच्चों में यूस्टेशियन ट्यूब छोटी और आड़ी होती है। नतीजतन, बैक्टीरिया आसानी से कान में प्रवेश कर सकते हैं और कान में संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
- छोटे बच्चों में भी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। नतीजतन, उन्हें कान में संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है।
- घर में किसी को कान में बार-बार संक्रमण हो सकता है।
- घर में कोई धूम्रपान कर रहा होगा तो ।
- बोतल से दूध पीने वाले बच्चों में संक्रमण हो सकता है।
ओटाइटिस मीडिया के लक्षण क्या हैं? (What are symptoms of otitis media in hindi?)
वृद्ध लोगों में ओटाइटिस मीडिया के लक्षणों में कान का दर्द, कान से पानी आना और बहरापन शामिल हैं।
ओटाइटिस मीडिया के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग होते हैं।
- सोते समय कान का दर्द।
- सोने में कठिनाई।
- बहुत ज्यादा रोना
- चलने में कठिनाई
- सुनने में कठिनाई।
- सिरदर्द।
- भूख में कमी।
बच्चों में, ये लक्षण सर्दी, खांसी और गले में खराश के साथ होते हैं।
ओटाइटिस मीडिया का निदान कैसे किया जाता है?
डॉक्टर बच्चे के लक्षणों के आधार पर ओटाइटिस मीडिया का निदान करते हैं। निदान की पुष्टि के लिए निम्नलिखित परीक्षण भी किए जाते हैं।
- ओटोस्कोपी – डॉक्टर बच्चों के कानों की जांच के लिए ओटोस्कोपी का उपयोग करते हैं। कान का लाल होना, सूजन, खून, कान में जमा पानी, ईयरड्रम की जांच की जाती है।
- टिम्पनोमेट्री – यह परीक्षण बच्चे के कान में दबाव को मापता है।
- रिफ्लेक्टोमेट्री – यह परीक्षण एक ऐसे उपकरण का उपयोग करता है जो बच्चे के कान के पास आवाज करता है ताकि अगर बच्चे के कान में पानी जमा हो जाए, तो आवाज फिर से सुनी जा सके। इससे ओटिटिस मीडिया का निदान होता है।
- श्रवण परीक्षण – यह परीक्षण यह जांचने के लिए किया जाता है कि बच्चा बहरा है या नहीं।
ओटाइटिस मीडिया के लिए उपचार क्या है? (What is treatment of otitis media in hindi?)
ओटाइटिस मीडिया एक संक्रमण है जिसे एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के बिना ठीक किया जा सकता है। इसलिए अक्सर डॉक्टर दर्द को रोकने के लिए दवा लिखते हैं। इससे एंटीबायोटिक दवाओं के अति प्रयोग और उनके कारण होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जाता है।
कान के दर्द को कम करने के लिए कान में एक बूंद डाली जाती है या दवा दी जाती है।अगर इससे बच्चे के कान का दर्द बंद नहीं होता है, तो डॉक्टर बच्चे को एंटीबायोटिक्स देंगे। यह कान के संक्रमण को कम करने में मदद करता है।
रूमाल गीला करके कान पे लगाया गया तो बच्चे के कान का दर्द कम हो जाएगा।
अगर तीन महीने में कान में से पानी नहीं जाता है, तो डॉक्टर ईयरड्रम के ऑपरेशन का सलाह दे सकते हैं। इस ऑपरेशन में, ईयरड्रम को छिद्रित किया जाता है और उसमें से पानी निकल जाता है और कान में दबाव भी कम हो जाता है। छिद्रित क्षेत्र में एक छोटी ट्यूब लगाई जाती है ताकि कान में पानी जमा न हो और कान में दबाव नियंत्रित हो। इस ऑपरेशन को मायरिंगोटॉमी कहा जाता है।
कान में से पानी निकलने के बाद बच्चे को ठीक से सुनाई देता हैं और ईयरड्रम के छेद में डाली गई ट्यूब छह से बारह महीनों में अपने आप गिर जाती है।
कुछ बच्चों में, नाक में एडेनोइड्स की लगातार सूजन और संक्रमण के कारण यूस्टेशियन ट्यूब बंद हो जाती है। नतीजतन, ऐसे बच्चे अक्सर ओटाइटिस मीडिया से पीड़ित होते हैं। ऐसे बच्चों में इन एडेनोइड्स को निकालने से बार-बार होने वाले ओटाइटिस मीडिया का खतरा कम हो जाता है। एडेनोइड्स को हटाने के ऑपरेशन को एडेनोइडेक्टोमी कहा जाता है।
उपरोक्त ऑपरेशन एक ईएनटी विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ओटाइटिस मीडिया क्या समस्याएं पैदा कर सकता है?
ओटाइटिस मीडिया का इलाज अक्सर दवा से किया जाता है लेकिन कुछ बच्चों में यह अधिक बार होता है। ऐसे बच्चों में निम्न प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं।
* बहरापन।
* मस्तिष्क का संक्रमण। इसे मेनिनजाइटिस कहते हैं।
* ईयरड्रम के पीछे की हड्डी में संक्रमण। इसे मास्टोइडिस कहा जाता है।
* कान का परदा फटना।
* ऐसे बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं क्योंकि वे सुन नहीं सकते।
ओटाइटिस मीडिया संक्रमण को क्या रोक सकता है?
कुछ चीजे की ठीक से देखभाल की तो कान का संसर्ग टालते आता हैं।
बच्चों के हाथ साबुन से बार-बार धोएं।
भीड़-भाड़ वाली जगहों से परहेज करें।
स्तनपान कराने वाले शिशुओं में कान में संक्रमण होने की संभावना कम होती है।
बच्चों का नियमित टीकाकरण।
घर में धूम्रपान से परहेज करें।
ओटाइटिस मीडिया संक्रमण का सबसे आम कारण कौन सा बैक्टीरिया है?
ओटाइटिस मीडिया के साथ संक्रमण आमतौर पर बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा के कारण होता है
अगर ओटाइटिस मीडिया का इलाज न किया जाए तो क्या हो सकता है?
यदि ओटिटिस मीडिया का इलाज नहीं किया जाता है, तो स्थायी बहरापन हो सकता है। साथ ही, आपके बच्चे की सुनने की क्षमता क्षीण हो सकती है और उसे भाषा बोलने और समझने में कठिनाई हो सकती है
ईयरड्रम के पीछे का पानी कैसे कम होता है?
ईयरड्रम के पीछे का पानी कुछ दिनों में अवशोषित हो जाता है लेकिन अगर यह 3 महीने में अवशोषित नहीं होता है, तो डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह दे सकते हैं।