नवजात शिशुओं में शाम के समय पेट में दर्द (Navjaat Shishu ka rona) होना एक बहुत ही आम समस्या है। माता-पिता को शिशु कोलिक का अर्थ समझना चाहिए। लगभग 40-50% शिशुओं को पेट के दर्द की समस्या होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि बच्चे के पेट में गैस या हवा फंस जाती है, जिससे आंतों में सूजन आ जाती है और बच्चे को पेट दर्द होता है।
कोलिक बच्चे को बोलना नहीं आता हैं इसलिए वह जोर-जोर से रोने लगता है। यह रोना ऐसा होता है कि आप बच्चे को रोने से रोकने के लिए कितनी भी कोशिश कर लें, बच्चा रोना बंद नहीं करेगा। फिर परिवार के सभी सदस्य बच्चे को शांत करने की कोशिश करते हैं। ऐसे समय में आपको समझना चाहिए कि बच्चे को पेट में दर्द के कारण रो रहा है।
यदि नवजात शिशु के पेट में गैस के कारण बच्चा रो रहा (Navjaat Shishu ka rona) हो तो उसे कोलिक कहते हैं और ऐसा रोना शाम के समय अधिक होता है, इसलिए इसे शाम का कोलिक कहते हैं।
शिशु कोलिक क्या होता हैं?
नवजात शिशु यदि दिन में 3 घंटे से अधिक, 3 दिन से अधिक, 3 सप्ताह तक रोता है, तो उसे शिशु कोलिक (Navjaat Shishu ka rona) कहा जाता हैं ।
पेट का दर्द स्तन दूध पिने वाले बच्चे, बोतल से दूध पिने वाले बच्चे, बेटे या बेटी में समान रूप से होता है।
बच्चे के रोने का क्या कारण है?
अक्सर नवजात शिशु रोता है (Navjaat Shishu ka rona) जब उसे भूख लगती है, नींद आती है, सर्दी होती है, उसके कपड़े गीले होते हैं या उसे किसी चीज ने काट लिया है।
अगर बच्चा भूखा है तो बच्चा उसके रोने की भाषा में रोने लगता है, इस रोने को हंगर क्राई (Hunger Cry in hindi) कहते हैं। ऐसे समय में बच्चे को दूध पिलाने के बाद बच्चा चुपचाप खेलने लगता है या सो जाता है।
अगर बच्चे को नींद आ जाए तो बच्चा चिढ़ने लगता है। इस मामले में, बच्चे को घर में से किसी ने उठके टहलानेसे बच्चा शांत हो जाता है और बच्चे को गोद में सो जाता है।
बच्चे को सर्दी-जुकाम होने पर भी बच्चा रोने लगता है। सर्दी के कारण बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होती है इसलिए बच्चे की नाक में सेलाइन ड्रॉप डालने से सांस लेने में दिक्कत कम हो जाती है और बच्चा खेलना शुरू कर देता है।
यदि बच्चे के कपड़े गीले हैं, तो बच्चे को परेशानी हो रही होती है ऐसा करने से बच्चा रोने लगता है क्योंकि वह गीलेपन के बारे में बताने के लिए बोल नहीं सकता है।
जब बच्चा रोना शुरू करता है तो बच्चे को बिस्तर से बाहर निकालना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि बिस्तर पर कुछ वस्तुएं हो सकती हैं या कीड़े द्वारा काट लिया जा सकता है, इसलिए बच्चा सहज हो जाएगा और चुपचाप खेलना शुरू कर देगा।
यदि उपरोक्त सभी उपाय करने के बाद भी शिशु का रोना बंद नहीं होता है, तो इसका अर्थ बच्चे को पेट में दर्द हो रहा हैं ।
शिशु कोलिक के लक्षण क्या हैं?
जब कोई बच्चा कोलिक से पीड़ित होता है तो निम्नलिखित लक्षण बच्चे मैं दिख सकते हैं:
- दूध पीते-पीते अचानक बच्चा रोने लगता है
- बच्चा अपनी मुट्ठी कसकर पकड़ता है, पेट पर पैर रखता है, फूला हुआ महसूस करता है।
- रोना बंद करने के प्रयासों का जवाब नहीं देना।
- हर दिन नियमित अंतराल पर रोना (अधिमानतः शाम को)
- बिना रुके जोर से रोना
शिशु कोलिक के मुख्य कारण क्या हैं?
- बच्चे को अपचन हो जाता है
- बच्चा ज्यादा दूध पीता है
- बच्चा कम दूध पीता है
- जब बच्चा दूध पी रहा हो तब पेट फूलना
- बच्चे का डकार ठीक से नहीं हुआ है
- स्तन के दूध में कुछ पदार्थों से एलर्जी होना
- माँ द्वारा गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान
अगर बच्चा शाम को बहुत रोए तो क्या करें?
डरे नहीं क्योंकि बच्चा रो रहा है, लेकिन निम्नलिखित उपाय करना जरूरी है।
- बच्चे को घर के बाहर खुली जगह में ले जाना
- बच्चे के पास बहुत अधिक लोगों की भीड़ लगाने से बचें
- बच्चे को कंधे के ऊपर लेके पीठ पर थपथपाएं।
- बच्चे को पेट के बल लिटाएं और उसकी पीठ थपथपाएं।
- पैसिफायर का उपयोग करे ।
यदि उपरोक्त सभी प्रयास करने के बाद भी शिशु रोना बंद नहीं करता है, तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
जितना हो सके बोतल से दूध पिलाने से बचना चाहिए। अगर बच्चा बोतल से दूध पी रहा है, तो निप्पल के छेद की जांच करना जरूरी है। यदि छेद बड़ा है तो पेट फूलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
अगर बच्चा बोतल से दूध पी रहा है, तो यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि बोतल का निप्पल मुंह में ठीक से हो। कभी-कभी निप्पल के किनारे से भी हवा पेट में प्रवेश करती है। बोतलबंद दूध पीने वाले शिशुओं में पेट का दर्द होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चे को चम्मच कटोरी से दूध पिलाना चाहिए।
यदि शिशु को बुखार, उल्टी, दस्त के साथ-साथ गैस हो तो शिशु की जान खतरे में पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए बिना समय बर्बाद किए बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।
मुझे आशा है कि आप शिशु कोलिक का अर्थ समझ गए होंगे। इसलिए माता-पिता के रूप में आपको समझदारी से काम लेना चाहिए ताकि बच्चे के पेट के दर्द (Navjaat Shishu ka rona) से राहत मिल सके